देवास
देशभर के साथ शहर में भी श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए समर्पण निधि के कार्यक्रम चल रहे हैं। विविध स्तर पर समितियों का गठन किया गया है। महाआरती, रैली, बैठकें, व्याख्यान, पोस्टर्स वितरण इत्यादि कार्यक्रमों के माध्यम से समर्पण के लिए जन जागरण किया जा रहा है। समाजजनों द्वारा बड़ी संख्या में समर्पण निधि भी भेंट की जा रही है।

अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के लिये सर्मपण निधि के कार्यक्रमों के साथ ही श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के संघर्ष एवं कारसेवकों की यादें भी जीवंत हो रही हैं। विहिप के पूर्व जिला मंत्री नरेन्द्र जैन, निर्माण सोलंकी, आनन्दसिंह ठाकुर, दिलीपसिंह ठाकुर,  शशिकांत यादव बताते हैं कि मुक्ति आंदोलन में देवास का सक्रिय एवं संघर्षशील योगदान रहा है। अयोध्या में 1990 एवं 1992 की दोनो कारसेवाओं में यहां से  सैकड़ों की संख्या में कारसेवक गई थी।  

9 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला दिए जाने के पश्चात शिवशक्ति मंडल, देवास की स्थानीय इकाई द्वारा कारसेवकों का सम्मान समारोह भी आयोजित किया था। मुख्यालय ही नहीं संपूर्ण जिला अयोध्या आंदोलन से जुड़ा था। 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा के शहर आगमन पर हजारों की संख्या में जनसमूह एकत्रित हुआ था। जवाहर चौक में बजरंगदल के राष्टÑीय  संयोजक रहे जयभानसिंह पवैया एवं विनय कटियार की धर्मसभा ने माहौल को खासा गर्मा दिया था। बजरंगदल के जिला संयोजक रहे जगदीश चौधरी, बसंत चौरसिया, विजय गेहलोत कहते है कि 13 मार्च 2002  में दोपहर 12 बजे का समय था। अयोध्या में तपस्वी छावनी के महंत रामचंद्रदास परमहंस ने घोषणा की थी कि यदि उन्हें शिलादान कार्यक्रम नहीं करने दिया गया तो वे देहदान कर देंगे। महंत की इस घोषणा से हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता क्रोधित हो गए थे। तनावभरे में वातावरण में एम जी रोड़ पर जवेरी श्रीराम मंदिर में महाआरती आयोजित की गई थी। जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से नारेबाजी करते हुए रैलियों के माध्यम से करीब 5 हजार कार्यकर्ता एकत्रित हो गए थे। भीड़ देखकर पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फुल गए थे। विहिप के तत्कालीन प्रांतीय उपाध्यक्ष घनश्यामदास पमनानी की एसपी डीसी सागर से तीखा संवाद हुआ था। क्या करें, क्या न करें की संशय एवं तनावर्पूण स्थिति में तहसील चौराहे पर भीड़ को छांटने के लिए आंसू गैस के गोले दाग दिए थे।

तनावभरे इस घटनाक्रम की की सुर्खियां राष्टÑीय स्तर पर रही थीं। इसके अतिरिक्त राम नाम जप, संत सम्मेलन, हिन्दू सम्मेलन जैसे अनेक कार्यक्रम, जो श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के संघर्ष के दौरान हुए थे। समर्पण निधि कार्यक्रम के साथ, जनस्वरों में उनकी स्मृतियां सजीव हो रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार समर्पण निधि के साथ जिले के  542 गांवों तथा 7 नगरीय केंद्रों की 46 बस्तियों में प्रत्येक हिंदू घर में जाकर श्रीराम जन्मभूमि के संघर्ष के इतिहास को बताने की योजना है।

Source : Agency